महात्मा गाँधी के प्राण रक्षक, गुमनाम स्वतंत्रा सेनानी बतख मियाँ अंसारी की आज है 151वीं जयंती है

महात्मा गाँधी के प्राण रक्षक, गुमनाम स्वतंत्रा सेनानी बतख मियाँ अंसारी की आज है 151वीं जयंती है

Batakh Miya Gandhi ji Champaran
बतख़ मियां अंसारी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक गुमनाम योद्धा

क्या आपने उस गुमनाम शख़्स को जानने की कोशिश की जिसने अपनी जान दांव पर लगाकर गांधी जी की जान बचाई थी

अगर नही तो हम आपको उस गुमनाम शख़्स का नाम बताते हैं, वो शख़्स बिहार के चम्पारण ज़िले के रहने वाले बतख़ मियां अंसारी थे

बतख़ मियां न होते तो गांधी जी नहीं होते और न भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास वैसा होता जैसा हम जानते हैं।
Batakh Miya Gandhi ji Champaran

चकिया: बात 1917 की है जब साउथ अफ़्रीक़ा से लौटने के बाद स्वतंत्रता सेनानी शेख़ गुलाब, शीतल राय और राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर गांधीजी मौलाना मज़हरुल हक़, डॉ राजेन्द्र प्रसाद और अन्य लोगों के साथ अंग्रेजों के हाथों नीलहे किसानों की दुर्दशा का ज़ायज़ा लेने चंपारण के ज़िला मुख्यालय मोतिहारी आए थे। वार्ता के उद्देश्य से नील के खेतों के तत्कालीन अंग्रेज मैनेजर इरविन ने उन्हें रात्रि भोज पर आमंत्रित किया। तब बतख़ मियां अंसारी इरविन के रसोइया हुआ करते थे।

इरविन ने गांधी की हत्या के लिए बतख मियां को जहर मिला दूध का गिलास देने को कहा। बतख़ मियां ने दूध का ग्लास देते हुए गांधीजी और राजेन्द्र प्रसाद के कानों में यह बात बता दी। गांधी की जान तो बच गई लेकिन बतख़ मियां और उनके परिवार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी।

उन्हें बेरहमी से पीटा गया, सलाखों के पीछे डाल दिया गया और उनके छोटे से घर को ध्वस्त कर उसे कब्रिस्तान बना दिया गया।

देश की आज़ादी के बाद 1950 में मोतिहारी यात्रा के क्रम में देश के पहले राष्ट्रपति बने डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने बतख मियां की खोज ख़बर ली और प्रशासन को उन्हें कुछ एकड़ जमीन आबंटित करने का आदेश दिया।

बतख मियां की लाख भागदौड़ के बावजूद प्रशासनिक लालफीताशाही के कारण वह जमीन उन्हें नहीं मिल सकी। निर्धनता की हालत में ही 1957 में उन्होंने दम तोड़ दिया।

बतख मियां के दो पोते असलम अंसारी और ज़ाहिद अंसारी अभी दैनिक मज़दूरी करके जीवन-यापन कर रहे हैं।
इतिहास ने बतख मियां को भुला दिया। 

डा० आसिफ हुसैन, ऑल-मदद फाउंडेशन प्रसिडेंट ने कहा कि महात्मा गांधी के प्राण रक्षक और महान स्वतंत्रता सेनानी बत्तख मियां अंसारी के 151वें जंयती के अवसर पर मैं संकल्प लेता हूँ की वर्तमान राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद द्वारा 1957 ई० में बत्तख मियां अंसारी को  35 एकड़ जमीन देने की घोषणा करने के बाद भी आजतक उनके बदहाल परिवार को जमीन आवंटित नहीं किया गया। आज भी इनके बेबस परिवार वाले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री बिहार सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं।

महान स्वतंत्रता सेनानी बत्तख मियां अंसारी के परिजन को इंसाफ दिलाने के लिए सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ूंगा। 

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