
भगवान शिव को सबसे प्रिय है रुद्राभिषेक: पं. राकेश
डूमरियाघाट: भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोच्च उपाय रुद्राभिषेक है। साक्षात देवी और देवता भी शिव कृपा के लिए शिव-शक्ति के ज्योति स्वरूप का रुद्राभिषेक करते हैं। शिव से ही सब है तथा सब में शिव का वास है। रुद्र अर्थात् ‘रुत्’ और रुत् अर्थात् जो दु:खों को नष्ट करे, वही रुद्र है। रुद्र के पूजन से सब देवताओं की पूजा स्वत:सम्पन्न हो जाती है। साम्बसदाशिव रुद्राभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसीलिए कहा भी गया है-शिव: रुद्राभिषेकप्रिय:।शिव जी को पूजा में रुद्राभिषेक सर्वाधिक प्रिय है। उक्त बातें डुमरियाघाट थाना क्षेत्र के सेम्भुआपुर गांव निवासी व बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ पूर्वी चम्पारण के जिला सचेतक पं. राकेश कुमार तिवारी ने कही।
उन्होंने कहा कि रुद्राभिषेक से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। प्रतिकूल ग्रहस्थिति अथवा अशुभ ग्रहदशा से उत्पन्न होने वाले अरिष्ट का शमन होता है। रुद्राभिषेक से मानव की आत्मशक्ति, ज्ञानशक्ति और मंत्रशक्ति जागृत होती है |रुद्राभिषेक से मानव जीवन सात्त्विक और मंगलमय बनता है । रुद्राभिषेक से अंतःकरण की अपवित्रता एवं कुसंस्कारो के निवारण के उपरांत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन पुरुषार्थचतुस्त्य की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के निमित्त अनेक द्रव्यों का निर्देश किया गया है:-
वर्षा की कामना के लिए जल से, असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से, भवन-वाहन प्राप्त करने की इच्छा दही से, व्यापार में उतरोत्तर वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने का रस से, धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से, मोक्षप्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से, पुत्र की इच्छा करनेवाला दूध से, वन्ध्या, काकवन्ध्या (मात्र एक संतान उत्पन्न करनेवाली) अथवा मृतवत्सा (जिसकी संतानें पैदा होते ही मर जायं) गोदुग्ध से, ज्वर की शांति हेतु शीतल जल से, वंश का विस्तार के लिए गोघृत से, प्रमेह रोग की शांति के लिए गोदुुग्ध से, जडबुद्धि समाप्ति के लियेे शक्कर मिले दूध से, धन की वृद्धि एवं ऋण मुक्ति तथा जन्मपत्रिका में मंगल दोष सम्बन्धी निवारणार्थ शहद से, पातक नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से, ज्वर शांति के लिए कुशोदक से अभिषेक करने पर अभीष्ट निश्चय ही पूर्ण होता है।
केसरिया(डूमरियाघाट) से दीनानाथ पाठक की रिपोर्ट
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