
बागमती के पानी ने बर्बाद की सैकड़ों एकड़ फसल, आवागमन में भी परेशानी
पताही: पिछले दो दिनों से रौद्र रुप दिखा रही बागमती नदी सोमवार को शांत दिखी। लेकिन लालबकेया का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है। दोनों नदियों का पानी पताहीं प्रखंड के कई गांवों में फैल गया है। दोनों नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें डूब गई हैं। इससे ग्रामीण परेशान हैं। लोगों को आवागमन में भी काफी परेशानी हो रही है।
दोनों नदियों के पानी से एक सीमित आबादी प्रभावित हुई है और बाढ़ का पानी गांवों से निकलकर खेतों में फैल गया है। देवापुर के पास लालबकेया और बागमती का संगम स्थल है। देवापुर के नजदीक से लालबकेया और बागमती दोनों नदियों का पानी पताहीं प्रखंड के कई गांवों में फैल गया है।
ग्रामीण शीतल सहनी ने बताया कि खेतों में धान लगा हुआ था और परवल की खेती भी की थी। लेकिन नदी के पानी ने सबको डूबा दिया है। उन्होंने बताया कि नदियों का जलस्तर स्थिर है। लेकिन कई पंचायतों को इन दोनों नदियों के पानी ने प्रभावित किया है।
वहीं, रामदेव कापर ने बताया कि नदियों का जलस्तर कभी घट रहा है तो कभी अचानक बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों पर ध्यान दे, क्योंकि उनके खेतों की फसलें नदी के पानी से बर्बाद हो गई हैं।
बता दें कि बागमती नदी पूर्वी चंपारण जिला के खोड़ीपाकड़ गांव के बगल से गुजरती है और उससे थोड़ा सा आगे जाने पर दूसरी ओर से आ रही लालबकेया नदी बागमती से मिल जाती है। फिर दोनों नदियों के संगम के बाद बागमती की विनाशलीला शुरु हो जाती है। पूर्वी चंपारण परिक्षेत्र के पताही, पकड़ीदयाल, ढ़ाका, मधुबन प्रखंडों के कई गांवों में देवापुर के पास से निकला बागमती का पानी तांडव मचाता है।
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