
पशुओं को बाढ़ के पानी या गंदे पानी से भींगा चारा देने से करे परहेज- डॉ. शैलेंद्र
Piprakothi (पीपराकोठी): वर्षा ऋतु में उमस एवं जलजमाव के कारण पशुओं में विभिन्न प्रकार के बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। खास कर गाय और भैंस में गलघोंटू, लंगड़ी बुखार, सर्रा, बबेसियोसिस, दस्त, वाह्य परजीवी आदि रोगों की काफी संभावनाएं बनी रहती है।
इसके लिए पशुपालकों को गलघोटू व लंगड़ी से रोकथाम के लिए टीकाकरण आवश्यक है तथा पशुओं को बाढ़ के पानी या गंदे पानी से भींगा चारा या दाना देने से परहेज करने की आवश्यकता है।
उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र कुमार रजक ने कही। उन्होंने कहा कि इस समय बकरियों में पीपीभार, दस्त एवं निमोनिया की होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए बकरियों को टीका दे दस्त एवं वाह्य परजीवी से बचाव के लिए हाईटेक टैबलेट वजन के अनुसार देना चाहिए।
वही खुरहा रोग से बचाव के लिए पशुओं के पैरों को पोटैशियम परमैगनेट तथा फिटकरी के घोल से धोना चाहिए। कहा कि दुधारू पशुओं को अत्यधिक दाना एवं चारा नहीं देना चाहिए। अन्यथा दस्त होने की संभावना बनी रहती है।
वहीं खनिज लवण 50 ग्राम प्रति दिन के हिसाब से देना फायदेमंद होगा। कहा कि पशुओं को मच्छर के प्रकोप से बचाव के लिए गोइठा के आग पर नीम के पत्तों के धुएं फायदेमंद साबित होगा। जबकि मुर्गियों को बीमारियों के बचाव के लिए टीकाकरण व ई केयर सी पावडर पांच ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोल बनाकर 50 मुर्गियों को देना चाहिए।
पिपराकोठी से राम प्रकाश शर्मा की रिपोर्ट
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