
किसान कभी नही चाहता की मेरा बेटा किसान बने: ललन सिन्हा
घोड़ासहन (Ghodasahan): किसान अन्न उगता है तो देश खाता है। उस अन्न को उगाने के लिए किसानो को कितने सितम झेलने पड़ते हैं, ये एसी में बैठे हुए नेता मंत्री तपती हुई कड़ी धुप में जलने वाले किसानो के दुःख दर्द कभी नही समझ सकते। यह बाते आम आदमी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष सह नरकटिया विधान सभा प्रभारी ललन कुमार सिन्हा ने किसानो के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए की।
उन्होंने कहा कि विडम्बना यह है की एक डॉक्टर चाहता है की मेरा भी बेटा डॉक्टर बने, एक इंजीनियर चाहता है की मेरा भी बेटा इंजीनियर बने, एक नेता चाहता है की मेरा भी बेटा नेता बने मगर एक किसान कभी नही चाहता की मेरा बेटा किसान बने क्योंकि किसानों को अपनी दुर्दशा का यह एहसास है।
कभी मौसम की मार, तो कभी बारिश की मार, कभी कड़ी धूप में फसलें बर्बाद, तो कभी बाढ़ के पानी से फसल की बर्बादी। जब कही से किसी से मदद एव न्याय की उम्मीद नही मिलती तो उस परिस्थिति में बैंक के कर्ज में डूबे किसानो के पास आत्महत्या करने के सिवा कोई रास्ता नही बचता।
यह गूंगी बहरी डबल इंजन की सरकार किसानों की एक नहीं सुनती। यही वजह है कि किसान के बेटे एव मजदूर खेती करने के बजाए अब रोजी रोटी की तलाश में शहर में पलायन करने लगे हैं।
आगे श्री सिन्हा ने कहा लॉकडाउन में लगभग देश के 29 राज्यो से बिहार में प्रवासी पजदूरो के लिए स्पेशल ट्रेन आई लेकिन एक भी ट्रेन का नाम बताइये की बिहार से अन्य प्रदेशो में गई हो। वजह यह रही है की युवाओ को सरकार रोजगार देने में असफल रही है। अंत में उन्हों ने कहा कि आज के परिवेश में सिर्फ खेती किसानी करने से नाही तो किसान अपने बेटे बेहतर स्कुल में पढ़ा सकते है, और नाही अच्छे कपड़े पहन सकते है, और नाही ढंग का खा सकता है। अन्नदाता कहे जाने वाले किसानो की यह दुर्दशा है वजह यही है की किसानो की आत्महत्या करने का अनुपात देश के सभी राज्यो में दिल्ली को छोड़ कर लगातर बढ़ता रहा है क्योकि दिल्ली सरकार किसानो की फसल क्षति के लिए 50 हजार रुपया प्रति हेक्टेयर देती है और बिहार सरकार 7500 सौ रुपया देती है। बिहार में आप की सरकार बनी तो किसान को हर सुविधा मुहैया कराएंगे।
न्यूज़ डेस्क
0 Response to "किसान कभी नही चाहता की मेरा बेटा किसान बने: ललन सिन्हा"
Post a Comment