
भारत के खिलाफ खुलकर आया चीन, नेपाल के साथ वार्ता में ये हुआ तय
नेपाल को आर्थिक मदद के नाम पर अपने पाले में करने में जुटी बीजिंग ने नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार को अपने समर्थन में आने के लिए कहा है। मौका बना चीन नेपाल के बीच हो रहा वार्षिक राजनयिक सम्मेलन। चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने इसमें कहा कि चीन-नेपाल को एक-दूसरे के प्रमुख हितों का दृढ़ता से समर्थन करना चाहिए।
चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी के बीच वीडियो कांफ्रेंस के जरिये 13वें दौर की बातचीत हुई। बातचीत के दौरान लुओ ने कहा कि दोनों पक्षों को गत वर्ष राष्ट्रपति शी चिनपिंग की नेपाल यात्रा के दौरान हुए समझौतों को लागू करने, कोविड-19 से लड़ने के लिए सहयोग को मजबूत करने साथ मिलकर 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। शी की इस मुख्य परियोजना के तहत चीन, एशियाई देशों, अफ्रीका यूरोप के बीच संपर्क सुधारने का लक्ष्य रखा गया है।
ज्यादातर परियोजनाएं भारत के खिलाफ हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार दोनों पक्षों को एक-दूसरे के प्रमुख हितों चिंताओं का समर्थन करना चाहिए, अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय मामलों में समन्वय मजबूत करना चाहिए संपर्क, विकासोन्मुख सहायता, रक्षा, सुरक्षा समेत द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देना चाहिए। चीन की परियोजनाओं के तहत तिब्बत स्थित जिलोंग से काठमांडू तक सुरंग बनाना, नेपाल में विज्ञान एवं तकनीक के एक विश्वविद्यालय का निर्माण करना, नेपाल चीन बिजली सहयोग अन्य निर्माण कार्य शामिल हैं।
जाहिर है नेपाल तो वैसे भी इन दिनों भारत विरोधी रुख अपनाए हुए हैं। ऐसे में बातचीत के बाद नेपाली वक्तव्य के अनुसार बैरागी ने कहा कि नेपाल 'एक चीन' की नीति का समर्थन करता रहेगा ताइवान, तिब्बत हांगकांग के मसले पर चीन के पक्ष का समर्थन करता रहेगा। नेपाल चीन के सहयोग से जिन अधोसंरचना से जुड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है, उनसे भारत के खिलाफ उसे बढ़त हासिल होगी।
न्यूज़ डेस्क
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