
CBI पर सवाल बिहार में बहुत अच्छा नहीं है जांच का रिकार्ड, दबे पड़े हैं हाइप्रोफाइल मामले
Patna (पटना): बिहार सरकार ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश की है।लेकिन मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड को छोड़ दें तो, बिहार में सीबीआइ की जांच का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है।
मिसाल के तौर पर मुजफ्फरपुर का नवरूणा (2012) हत्याकांड! इस कांड में सीबीआइ आज तक आरोप पत्र तक दाखिल नहीं कर सकी है! बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड (2012,भोजपुर) की जांच भी किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह जांच घिसट रही है। बहुचर्चित सृजन घोटाला (2017,भागलपुर) की जांच का हाल यह है कि सीबीआइ अब तक मुख्य आरोपित अमित कुमार और प्रिया कुमार को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इन तीनों हाइप्रोफाइल मामलों में सीबीआइ की साख दाव पर है!
अब बिहार सरकार ने एक ऐसे मामले की जांच सीबीआइ से कराने की सिफारिश कर दी है जो बिहार में घटित ही नहीं हुआ है। सुशांत सुसाइड केस (14 जून,2020) मुंबई में दर्ज है। बिहार से इसका कनेक्शन सुशांत के पिता की ओर से 40 दिनों बाद पटना के राजीवनगर थाने मे 24 जुलाई , 2020 को दर्ज एफआइआर से जुड़ा है। जिसमें सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। जानकारों को आशंका है कि क्षेत्राधिकार के आधार को लेकर बिहार सरकार की सिफारिश कहीं कानूनी पचड़े में न फंस जाये!
जानकारों का कहना है कि सुशांत केस को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सहयोगी दलों बीजेपी और लोजपा के दबाव में हैं! मुख्य विपक्षी दल आरजेडी भी हमलावर है! पटना मे इस मामले की एफआइआर भी ऊपरी दबाव मे दर्ज हुई थी। अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट The Print की खबर के मुताबिक फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की नीतीश कुमार से बातचीत के बाद एफआइआर दर्ज की गयी थी। ओपी सिंह सुशांत के बहनोई लगते हैं। जबकि खट्टर का बिहार से पुराना नाता है। संघ के प्रचारक के तौर पर खट्टर लंबे समय तक बिहार में रहे हैं। बिहार के नेताओं और रसूखदार परिवारों से उनके निजी ताल्लुकात हैं।
बीजेपी सुशांत मामले को महाराष्ट्र और बिहार में एक साथ राजनीतिक मुद्दा बनाना चाह रही है। महाराष्ट्र में वह दोस्त से दुश्मन बने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को घेरना चाहती है तो बिहार में नाराज बताये जा रहे राजपूत वोटरों का दिल जीतना चाहती है! इसी वजह से इस मामले को सीबीआइ के हवाले किया गया है।
भोजपुर में 29 जनसंहारों में 300 से अधिक दलित और पिछड़े गरीबों की हत्या के आरोपित रहे रणवीर सेना प्रमुख बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड की जांच जुलाई 2013 में सीबीआइ को मिली थी।इस जांच का हास यह है कि सबूत जुटाने के लिए सीबीआइ 2016 और 2019 में दस-दस लाख के इनाम की घोषणा कर चुकी है,लेकिन उसे सूबत देने कोई नहीं आया।
1600 करोड़ रुपये के सृजन घोटाले की जांच अगस्त 2017 में सीबीआइ के हवाले की गयी! मास्टरमाइंड अमित कुमार और प्रिया कुमार फरार हैं।सीबीआइ के हाथ उन दोनों तक क्यों नहीं पहुंच रहे हैं, यह एक बड़ा सवाल है!
प्रोपर्टी हड़पने वाले गिरोह के हाथो मारी गयी मुजफ्फरपुर की बच्ची नवरूणा कांड की जांच 2014 की फरवरी में सीबीआइ को मिली! आठ-दस लोग गिरफ्तार किये गये।लेकिन आरोपपत्र आज तक दाखिल नहीं हो सका है। सारे आरोपी जेल से बाहर हैं! और सीबीआइ सबूत जुटाने के लिए दस लाख का इनाम देने का इश्तेहार चिपका कर मौन हो गयी है!
न्यूज डेस्क
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