
जब मरे हुए व्यक्ति को बेतिया पुलिस ने कर दिया ज़िंदा, टुकड़े-टुकड़े मिली थी लाश
बेतिया (Bettiah): पश्चिम चम्पारण के बेतिया जिला मुफ्फसील थाना के औधोगिक क्षेत्र में 22 अगस्त को हुई खालिद हुसैन की हत्याकांड का खुलासा बेतिया पुलिस ने चुनौती के रूप में लेकर किया और चौंकाने वाला उद्भेदन किया है।
23 अगस्त को खालिद के पिता अख्तर हुसैन के ब्यान पर नगर सभापति गरिमा देवी सिकारिया और पति रोहित सिकारिया को आरोपित करके अपनी प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें बियाडा के जमीनी विवाद को आधार माना गया। इस हत्याकांड में नप सभापति और उनके पति का नाम आने के बाद यह मामला राजनीतिक रंग में रंग दिया गया और चारों तरफ पक्ष विपक्ष के साथ जनता और राजनीतिक दलों ने अपनी मांग-प्रर्दशन करना जिले में शुरू कर दिया था। परन्तु राजनीतिक रंग देने की कोशशों के बीच पुलिस ने चौंकाने वाला उद्भेदन कर दिया।
जिस खालिद की हत्या हुई थी उसे बेतिया पुलिस ने मोबाइल फोन ट्रेस के माध्यम से दिल्ली से जीवित गिरफ्तार कर लिया है। यानि खालिद हुसैन की हत्या हुई ही नहीं है। ऐसे में खालिद के पिता और भाई ने कैसे उस लाश को खालिद हुसैन का शव बता शिनाख्त कर ली?
इस प्रकरण में खालिद हुसैन के नरकटियागंज के एक मित्र रंजीत कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है। अब चूंकि प्राथमिकी में वर्णित बातें गलत साबित हो चुकी है तो वादी अख्तर हुसैन और उनके बड़े बेटा को गलत शव शिनाख्त करने और झूठा कांड अंकित करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अख्तर हुसैन का ब्यान बार बार बदल रहा है और उसके बरामद पुत्र खालिद हुसैन के ब्यान से बिल्कुल अलग है, जिससे पूरे घटनाक्रम में षडयंत्र के तहत बियाडा की जमीन हड़पने की नियत से इंकार नहीं किया जा सकता है।इस कांड के अभियुक्त सभापति गरिमा शिकारिया और रोहित शिकारिया, दोनों को षड्यंत्र के तहत फंसाने की कोशिश अख्तर हुसैन के द्वारा की जा रही थी।
पुलिस का अनुसंधान अभी जारी है क्योंकि अब तक जो लाश खालिद हुसैन समझ कर प्राथमिकी दर्ज की गई थी वो लाश अब किसकी है, इस पर जांच की जा रही है। साथ ही अन्य मामलों पर गहन अनुसंधान बेतिया पुलिस के द्वारा किया जा रहा है।
बेतिया पुलिस अधीक्षक निताशा गुड़िया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इसका उद्भेदन किया है। जिससे यह साबित होता है कि खालिद हुसैन हत्याकांड में सभापति गरिमा देवी सिकारिया और रोहित सिकारिया निर्दोष है। अब इस कांड से जुड़े अन्य तथ्यों का उद्भेदन बेतिया पुलिस के लिए अभी भी चुनौतीपूर्ण है। शव किसका है और उसकी निर्मम हत्या किसने की, यह सवाल सबके जेहन में कैन्ध रहा है।
इस हत्याकांड के उद्भेदन और खालिद हुसैन को जीवित दिल्ली से गिरफ्तार करने में पुलिस अधीक्षक निताशा गुड़िया के नेतृत्व में एसडीपीओ मुकुल परिमल पांडेय, मुफ्फसील थानाध्यक्ष उग्रनाथ झा, श्रीनगर थानाध्यक्ष खालिद अख्तर के साथ अन्य पुलिस बल की सराहनीय भुमिका रही।
न्यूज़ डेस्क
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