
GDP में आई भारी गिरावट, शत्रुघ्न सिन्हा का तंज- दुआ करता हूं कि इसे Act Of God न कहा जाए
न्यू दिल्ली (New Delhi): वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है. 1996 से भारत में तिमाही नतीजों की गणना शुरू हुई है और तब से लेकर अब तक पहली बार जीडीपी में निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है।
जब कोरोना वायरस का भारत पर हमला हुआ, तब भारत की अर्थव्यवस्था पहले ही संघर्ष कर रही थी और कोरोना ने हालात और भी बिगाड़ दिए। नतीजा ये हुआ कि अप्रैल-जून के दौरान जीडीपी निगेटिव हो गई और 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।1
1996 से भारत में तिमाही नतीजों की गणना शुरू हुई है और तब से लेकर अब तक पहली बार जीडीपी में निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है। जब कोरोना वायरस का भारत पर हमला हुआ, तब भारत की अर्थव्यवस्था पहले ही संघर्ष कर रही थी और कोरोना ने हालात और भी बिगाड़ दिए। नतीजा ये हुआ कि अप्रैल-जून के दौरान जीडीपी निगेटिव हो गई और 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
पहली तिमाही में जीडीपी की रिकॉर्ड गिरावट पर सोशल मीडिया पर शाम के बाद #ResignNirmala और 23.9% GDP जमकर ट्रेंड हुआ। आम से लेकर खास ने इन हैशटैग्स के साथ ट्वीट्स कर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। पूर्व Congress चीफ राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “GDP 24% तक गिरी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट। सरकार का हर चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते रहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस बात को लेकर बॉलीवुड के मशहूर एक्टर और नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट किया है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. अपने ट्वीट में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उम्मीद करता हूं कि इसे भी एक्ट ऑफ गॉड न कहा जाए. शत्रुघ्न सिन्हा के इस ट्वीट को लेकर फैंस भी खूब कमेंट कर रहे हैं, साथ ही अपनी राय पेश कर रहे हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने ट्वीट में जीडीपी में आई 23 फीसदी की गिरावट को लेकर ट्वीट किया, “जिस तरह हमने सकल घरेलू उत्पाद के 23 फीसदी गिरने की दिल तोड़ने वाली खबर सुनी. दुरभाग्य से यह 40 सालों में सबसे खराब गिरावट रही है. उम्मीद है और दुआ भी करता हूं कि इसे भी ‘ईश्वर के कदम’ का जिम्मेदार न ठहराया जाए.
बता दें कि जीडीपी में आई 23 प्रतिशत की गिरावट को लेकर मशहूर लेखक चेतन भगत ने भी ट्वीट किया और कहा कि यह सबको प्रभावित करेगा. इससे इतर सोशल मीडिया यूजर भी जीडीपी को लेकर जमकर ट्वीट कर रहे हैं.
कोरोना संकट के दौरान अप्रैल-मई महीनों में कई हफ्तों तक बंद रही इन फैक्टरियों की वजह से करोड़ों मजदूर बेरोजगार हुए. अब सांख्यिकी मंत्रालय ने अपने ताजा आंकलन रिपोर्ट में कहा है की लॉकडाऊन की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ गयीं जिस वजह से इस साल अप्रैल से जून की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित 23.9% सिकुड़ गयी.
न्यूज डेस्क
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