
तीन दोस्त 25 हज़ार किलोमीटर की यात्रा के दौरान पहुंचे मोतिहारी
चकिया(Chakia): कहते है न कि अगर हौसले बुलंद व मजबूत इरादा हो तो कुछ भी संभव है, कुछ ऐसा ही कर दिखलाया है तीन दोस्तो ने मात्र 60 दिनों में 25 हज़ार किमी की यात्रा की।
सुनकर ही आश्चर्य होगा लेकिन इन तीनो दोस्तो ने ठाना है कोरोना से देश को बचाना है ।इसी उद्देश्य से निकले इन तीनो दोस्तो ने अपनी गाड़ी से पूरे देश के लगभग 30 राज्यो की सीमाओं को लांघने का दृढ़ संकल्प लिया है व इसी क्रम में आज वे महात्मा ग़ांधी की कर्मभूमि में पधारे है व सबसे पहले उन्होंने बापू की प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर उन्हें नमन किया व अपने यात्रा की सफलता काआशीर्वाद मांगा ।
वही इन तीनो लोगो ने बातचीत में बताया कि लॉक डाउन में लोगों को हुए परेशानियों को जानने व समझने के लिए निकले है व उनका मुख्य खोज है 'भारत क्या है '?
रोड आश्रम नामक कम्पैन में शामिल नेहा ने बताया कि इस कम्पैन मे वे लोग भारत को समझना चाहती है । लॉक डाउन में हुए लोगो की परेशानियों को देखना व साझा करना चाहती है ।
कोरोना काल मे किस तरह मानवीय संवेदना मरी ,लोगो को क्या परेशानियां हुआ उसे देखना चाहती हूं । देश की सीमाओं का क्या हाल है इसीलिए इतनी बड़ी व लंबी यात्रा पर निकली है।
वही इनके एक और साथी अनवर ने बताया कि सही मायने में इस देश मे लॉक डाउन सही ढंग से नही लगा, लोगो को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया गया , लोग भूखे नंगे घर वापसी के लिए मजबूर हुए ।
लॉक डाउन में लोग एक दूसरे से मिलना जुलना तो दूर बात करना भी मुनासिब नही समझे, इसीलिए वे लोग अपने 25000 km की यात्रा पर भारत को समझने व देखने के लिए निकले है।
साथ ही उनके तीसरे साथी व इस टीम के ग्रुप लीडर सिद्धार्थ ने बताया कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में जब वे यहां के बच्चो से मिले तो पता चला कि बच्चो को मालूम तक नही था कि उनके स्कूल कब तक खुलेंनगे ,कब शुरू होगी उनकी पढ़ाई व कब सुधरेगा इन नौनिहालों का भविष्य।
चकिया से अमितेश कुमार रवि की रिपोर्ट
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