
रोड नहीं तो वोट नहीं वोट का बहिष्कार करेंगे नरहर पकड़ी गाँव के लोग
चकिया(Chakia): राज्य में हाई स्पीड सड़कों की जाल बिछ रही है तो वहीं प्रखंड क्षेत्र का नरहर पकड़ी एक ऐसा गांव है जो बरसों से उपेक्षित है। गांव के बीच से गुजरने वाली सड़क जो प्रखंड मुख्यालय सहित अन्य शहर को जोड़ती है यह सड़क कच्ची है।
इस सड़क को ग्रामवासी पक्की करण के लिए जनप्रतिनिधियों सहित सक्षम अधिकारियों से मांग करते रहें हैं परन्तु दशकों बीतने के बाद इनकी मांगे पुरी नही हुई।
वहीं इस गाँव का भौगोलिक बनावट भी जटिल है। तीन तरफ़ से बुढी गंडक नदी से घिरा है तथा प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दंश झेलता है। बरसात के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि यह गांव चारों तरफ से पानी से घिर जाता है और फिर यहां आवागमन का एकमात्र साधन नाव बन जाता है जिसके सहारे लोग दूसरे गांव या शहर से आवागमन करते हैं।
यहां के लोग अधिकतर लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करते हैं। इस गांव की आबादी लगभग एक हजार की है जो अति पिछड़ा तथा दलित वर्ग से हैं। यहां के मतदाता अपनी पुरानी मांग पूरा नहीं होने से खासे नाराज हैं रोड नहीं तो वोट नहीं का निर्णय लिया है तथा गांव के प्रवेश सीमा पर वोट वहिष्कार का एक बैनर लगा दिया है।
इस बाबत ग्रामवासी जगत पटेल, रामचंद्र भगत, उबा भगत, विश्वनाथ भगत, राजन पटेल, सरोज विश्वास,मोहन कुमार पटेल, लखिंद्र राम, धरीछन राम, सिकंदर पटेल,मुन्नी देवी,सुनिता देवी, सीताराम राय, शंकर पटेल,यकिंदर पटेल,भोला पटेल, बिगन बैठा, गुड्डू कुमार, विजय सहनी, बैजू राय, जयचंद्र प्रसाद यादव आदि का कहना था कि हम लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीते हैं। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण दुसरे जगह जमीन खरीद कर बसना बुते की बात नहीं है। गांव के बीच से गुजरने वाली कच्ची सड़क के माध्यम से आवागमन होता है।
बरसात के दिनों में जब बाढ़ का पानी नदी में आता है तो चारों तरफ पानी से घिर जाता है तथा सड़क पर तीन से चार फीट पानी बहने लगता है।
समस्या के स्थायी समाधान के लिए सड़क पर पुल के साथ पक्कीकरण की मांग जनप्रतिनिधियों तथा सक्षम अधिकारियों के समक्ष की जाती रही लेकिन उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन दिया गया परन्तु सार्थक पहल नहीं किया गया।
मुलभुत सुविधा मे शामिल सड़क के लिए होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है बताते चलें कि यह गांव मधुबन विधानसभा के सबली गांव को जोड़ता है।
इस गांव में भी बड़ी संख्या मेंअति पिछड़ा व दलित समाज के लोगों की आवादी है। दोनों गांव की समस्या एक जैसी हैं।
चकिया से अमितेश कुमार रवि की रिपोर्ट
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